बड़े हजूर बाबा सावन सिंह जी की साखियों से उनके ग्वालियर की साखी से एक प्रसंग है।
—–संतो के वस्त्र व् परशाद का महत्व—–
एक बार जब बड़े हजूर संगत के साथ ग्वालियर पहुंचे तो वहां के राज परिवार जनरल साहिब के यंहा का प्रसंग है जो उन्होंने जनरल साहिब की पुत्रवधु रॉनी इंदुमती को उसके द्वारा हजूर जी के प्रशादी वस्त्र माँगने के समय का है , उस समय इस पर हजूर ने रानी इंदुमती को फरमाया–देख बेटी मैं अपना कपड़ा किसी को कम ही देता हूं, लेकिन तू प्रेमन लड़की है, प्रेम से माँग रही है दे देंगे ।”
फिर सतगुर जी ने मियांमीर की कहानी सुनाई ।
औरंगजेब के लड़को ने राज का झगड़ा डाला तो औरंगजेब चारों लड़कों को साथ लेकर मिंयामीर (ये जगह अब लाहौर में है ) के पास पहुंचे।
मिंयामीर ने अपनी एक चादर उनके बैठने को बिछा दी, तीन लड़के और औरंगजेब तो चारो कोनो पर बैठ गए और बड़ा लड़का बीच में बैठ गया।
मिंयामीर ने अपने सेवादरो से फरमाया कि उनके लिए प्रशाद लाओ, सेवादारों ने कहा जनाब, अंदर और कुछ तो नहीं, सिर्फ दो-तीन सुबह की सूखी हुई रोटियां है मिंया, और मियांमीर ने कहा अच्छा वही ले आओ और एक रोटी के पाँच टुकड़े करके सब को प्रशाद दिया ।
टुकड़ों को देख कर सबने नाक भोहं सिकोड़ी लेकिन जो बड़ा लड़का बीच में बैठा था उसने अपने हिस्से का टुकड़ा खा लिया, बाकी चरों ने अपने टुकड़े भी उसी के आगे फेंक दिए,उसने सबके टुकड़े खा लिए।
फिर औरगजेब ने अर्ज की हमारा फैसला कर दीजिये किस लड़के को राज दिया जाए।
मिंयामीर ने कहा कि फैसला तो हो गया जो मेरी चादर है यह बादशाही का तख़त है और जो प्रशाद था, यह कुल हिन्दुस्तान की बादशाही थी, आप देख नहीं देखते आपका बड़ा लड़का बीच में बैठा है और सब कोनो पर बैठे हो, प्रशाद भी सारा उसी ने खाया आप किसी ने नहीं खाया, फ़क़ीर की चीज भाग्य से नसीब होती है , मैंने तो सबको दिया मगर जिसके नसीब में राज था उसने खा लिया और बीच में भी बैठ गया ।
सो बेटी (रानी इंदुमती ) बड़े ऊँचे भाग्य हो तो संतो की चीज नसीब होती है फि सचे बादशाह जी ने ने रक कड़ी बोली —
संतन का दाना रुखा सो सरब निधान।
गिरह साकत छति प्रकार सो विखु सामान।।
सभी प्यारे सतसंगी भाई बहनों और दोस्तों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा स्वामी जी…
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