हुज़ूर महाराज विदेश टूर पर गये थे।
सत्संग के बाद एक छोटे से गांव मे जाते है, जहाँ केवल 20 सत्संगी रहते थे। फिर वहा सेवा की पेटी रखी जाती है।
सारे सेवादारो को बडा ताज़्ज़ुब हुआ कि, एक छोटा सा गरीब गांव, उसमें केवल 20 सत्संगी और उस पर ये सेवा की पेटी??
वहां एक गरीब बीबी सेवा की पेटी के पास आती हॆ। वह अपने रूमाल के कोने से 7 गांठे बंधा वहां का एक रुपया, जी हाँ उनकी करेंसी का 1 रुपया का coin निकलता है और उस सेवा की पेटी मे डालती है।
फिर हुज़ूर ने कहा चलो हम जिस काम को आये थे पूरा हो गया। सेवादार सारे हक्के बक्के होकर हुजुर को देखने लगे कि इस 1 सिक्के को लेने के लिये यहाँ हजारों मीलों का सफर ?
तब सेवादारों के बार बार पूछने पर हुजुर ने फरमाया की इस बीबी ने सावन सिंह महाराज जी से नामदान की बक्षीश ली है और काफी सालो से ये एक सिक्का संभाल रखा था ओर मन मे इच्छा थी की इस 1 सिक्के को डेरे Beas की सेवा मे डालूँगी ।
पर बीबी के पास India Beas आने का किराया नही था इस लिए हमें यहाँ आना पड़ा ।
इस लिये गुरू को दीन दयाल ऒर गरीब निवाज कहा जाता है।
सलाम मेरे मुर्शिद को
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मेरे सभी प्यारे सतसंगी भाई बहनों और दोस्तों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा स्वामी जी..
Radha Soami G…