एक बार ब्यास स्टेशन पर एक सेवादार को एक पर्स मिला, जिसमे कुछ पैसे और बाबाजी की एक फोटो थी
उसने जोर से आवाज लगाई, ये पर्स किसका है ?
भीड मे से एक बुजुर्ग बोला, अरे ये तो मेरा है
सेवादार बोला मै कैसे मान लूं ये आपका है ?
वो बोला इसमे बाबा जी की फोटो है
सेवादार बोला वो तो यहॉ कई लोगो के पर्स मे होगी कोई और निशानी बताओ
तब वो बुजुर्ग बोला कि जब मै छोटा था तब ये पर्स मेरे पिताजी ने मुझे दिया था
तब इसमे मैने अपने माता पिता की फोटो रखी थी क्योंकि मै उन्हे बहुत प्यार करता था
जब मै जवान हुआ तब मै अपनी सूरत आइने मे देख बहुत खुश होता था
मेरे बाल मेरी नाक मेरा चेहरा, तब मैने पर्स मे माता पिता ती फोटो हटा कर अपनी फोटो लगा ली
फिर मेरा ब्याह हुअा, बहुत सुन्दर थी वो मैने अपनी हटा कर उसकी फोटो पर्स मे रख ली और सुबह शाम उसी को देख कर खुश होता रहा
फिर मेरा पुत्र हुआ अब पत्नी की जगह पुत्र की फोटो इसमे आ गई
मै सारी जिन्दगी इन फोटुओ को ही देख कर खुश होता रहा
कुछ साल पहले मेरे माता पिता गुजर गये,मै बहुत रोया, मेरी पत्नी ने मुझे सम्हाला
पिछले साल मेरी पत्नि भी गुजर गई, मेरा पुत्र अपनी पत्नि के साथ विदेश मे बस गया है
अब मै बिलकुल अकेला हो गया,ये कहते हुए उसकी आंखों मे ऑसु आ गये
अब मैने अपने पर्स मे बाबा जी की फोटो रख ली क्योकि अब मुझे समझ आ गया है कि मै सारी जिन्दगी जिन दुनयावी रिश्तों के मोह मे फसा रहा वो मेरी भूल
थी अगर मैने पहले दिन से ही पर्स मे बाबाजी की फोटो लगाई होती तो मुझे जिन्दगी मे इतनी तकलीफ न उठानी पडती
सेवादार ने पर्स उनके हाथ मे पकडाया और तुरन्त अपने पर्स मे से अपनी पत्नि की फोटो निकाल कर बाबाजी की फोटो रख ली!
राधा स्वामी जी – मेरे wallet में तो बाबा जी की फोटो करीब 20 – 25 सालों से है, और आपके?