॥ राधा स्वामी जी ॥
बहुत समय पहले की बात है, जब हुज़ूर के टाइम पर पूसा रोड सत्संग घर में सत्संग हुआ करता था. एक बार जब हुज़ूर सत्संग फरमाने के लिए स्टेज पर चढ़ने लगे, तो सामने खड़े सेवादार को बुलाया और बोले की हमारे एक गेस्ट आ रहे हैं, आप जाकर उन्हें स्टेशन से ले आएं, यह कहकर हुज़ूर स्टेज पर चले गए, अब हुज़ूर तो सत्संग करने लगे और सेवादार परेशान हो गया कि हुज़ूर ने ये तो बताया नहीं की कौन से स्टेशन पर, कौन सी ट्रेन, कहाँ से और कितने बजे आना है, वह सेवादार बड़ा परेशान हुआ और सोचा की अगर वो हुज़ूर के सत्संग खत्म होने का इंतज़ार करेगा तो कहीं हुज़ूर नाराज़ न हो जाएं, वह सब हुज़ूर पर छोड़कर काफी सोचते हुए नई दिल्ली स्टेशन जाने की सोचते हैं , कार लेकर नई दिल्ली स्टेशन पहुँचते हैं, कार को पार्किंग में लगाकर, 1 नंबर प्लेटफार्म पर जाकर खड़े हो जाते हैं और सोचते हैं कि हुज़ूर ने तो कुछ बताया नहीं कि कहाँ से आना है, यहीं इंतज़ार करता हूँ जिसे भेजना होगा हुज़ूर अपने आप यहीं भेज देंगे, वह एक कॉफी लेकर कुर्सी पर बैठ जाते हैं, और सर पे हैट जो पहनी होती है उसे हाथ में ले लेते हैं, और दूसरे हाथ से कॉफी पीने लगते हैं, इतने में एक ट्रेन आकर १ नंबर प्लेटफार्म पर रूकती है, और उसके सामने वाले डिब्बे से एक फोरेनर उनके पास आती है और पूछती है कि क्या आपको मास्टर ने भेजा है, यह सुनकर वो हैरान हो जाते हैं और कहते हैं हाँ मुझे मास्टर ने ही भेजा है पर आपको कैसे पता लगा? तो वो बोली की प्लीज मुझे जल्दी से मास्टर के पास ले चलो मैं पहले ही काफी लेट हो गई हूँ, सेवादार उनको लेकर पूसा रोड सत्संग घर पहुँचते हैं और हाल के बाहर खड़े सेवादार से बोलते हैं की इन्हें हुज़ूर के पास ले जाओ ये उनके गेस्ट हैं, दूसरे सेवादार उन्हें हुज़ूर के पास ले जाते हैं , अगले दिन वह लेडी फिर से उन सेवादार को मिलती है जो उन्हें स्टेशन लेने गए थे, वह फिर से उस लेडी को पूछते हैं कि आपको कैसे पता चला की मुझे मास्टर ने भेजा है, वह बोली की वो अमेरिका में रहती है, और काफी समय से एक टैक्सी स्टैंड से टैक्सी लेकर ऑफिस जाती थी, वहीँ टैक्सी स्टैंड पर राधा स्वामी सत्संग का बोर्ड लगा हुआ था लेकिन उसने कभी खास ध्यान नहीं दिया और न ही ये पता करने की कोशिश की कि किसका बोर्ड है, पिछले हफ्ते जब वो टैक्सी स्टैंड पहुंची तो काफी तेज़ बारिश हो रही थी और वहां एक भी टैक्सी नहीं थी, वहीँ सत्संग घर पे एक सेवादार था, उसने मुझे कहा कि जब तक बारिश बंद नहीं होती, आप अंदर बैठ जाइये, वहां बैठकर मुझे बड़ा अच्छा लगा, मेरे पूछने पर उन्होंने मुझे ब्यास और मास्टर के बारे में बताया, तब मेरी मास्टर से मिलने की बड़ी तेज़ इच्छा हुई , मेरे पूछने पर की मास्टर यहाँ कब आएंगे तो उन्होंने बताया की मास्टर तो अभी 3 महीने पहले ही होकर गए हैं अब तो अगले साल ही आएंगे, मैंने बोला कि मैं इतना इंतज़ार नहीं कर सकती और मास्टर से जल्दी से जल्दी मिलना चाहती हूँ, तब उसने मेरी मास्टर से बात करवाई और मास्टर ने मुझे फ्लाइट लेकर मुंबई आने और मुंबई से ट्रेन पकड़कर दिल्ली आने को बोला और उन्होंने ही मुझे बताया की वहां स्टेशन पर तुम्हे एक सेवादार ब्राउन कलर के सूट में जिसके एक हाथ में कॉफी और एक हाथ में हैट होगा, वो मिलेगा, जो तुम्हें मेरे पास लेकर आएगा । ये सुनकर वो सेवादार बहुत हैरान हुआ और सोचा की मालिक तो जानी जान हैं और हम तो बस कठपुतलियां ही हैं
।।राधा स्वामी जी।।