Maharaj Ji Sakhi – Rabb ke Darshan

Published No Comments on Maharaj Ji Sakhi – Rabb ke Darshan

एक बार हुज़ूर बड़े महाराज जी अपने घर सिकंदरपुर गए थे। उस समय बरांडे  में बैठे हुए थे कि एक मिरासी टूमबे म्यूजिक वाला यंत्र पे गाना गाता हुआ उनके सामने से निकल आया। आवाज़ अच्छी थी तो हुज़ूर ने नौकर से उसे अंदर बुलवाया।

हुजूर ने कहा भाई कोई सूफी कलाम सुना सकता है। वो बोला, जी सरदार जी, पर अभी मुझे एक शादी में गाने के लिए जाना है, वो मुझे दस रुपए दे रहे हैं, मैं बाद में सुना दूँगा।

अब हुजूर मौज में आए थे, बोले अगर हम बीस रुपए दें तो।

इस पर उसने कहा बीस रुपए में तो मैं सारा दिन गाना सुनूंगा।

गाने का दौर शुरू हुआ, लगभग एक घंटा सुनने के बाद हुज़ूर ने कहा, भाई बाहर के राग तो अच्छे से गाते हो कभी भीतर के राग भी सुने हैं क्या ?

इस पर वो बोले सरदार जी अंदर के कौन से राग, मैंने कभी नहींं सुने। हुज़ूर की मौज चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी, बोले सुनेगा तूँ अंदर के राग। वह बोला आप जी सुना  सकते हैं तो सुनाइये । हुज़ूर ने कहा कि आँखें बंद करके बैठ जाओ, और उसका सिर पे हाथ रख लिया और लगभग एक घण्टे के बाद उसे बाहर आने को कहा, आँखे खोल दी।

आँखे खोलने पर मिरासी अपनी ऊँची आवाज़ और अन्दाज़ में बोला,आप ने तो मुझे रब के दर्शन करवा दिए | 

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!