एक सत्संग कर्ता ने काल और दयाल के बारे में समझाया, आखरी वाली लाइन बड़ी सुन्दर थी।
जब रूह सत्संग में जाने लगती है, भजन सिमरन पर जोर देने लगती है नाम की कमाई करने लग जाती है तब काल समझ जाता है की ये रूह अब हाथ से छूट जाएगी।
तब काल अपना जाल फैलाता है आपको नौकरी में तरक्की बिज़नस में मुनाफा बढ़ोतरी आदि मिलनी शुरू हो जाती है।
आप सोचते हो ये सत्संग में जाने और नाम की कमाई का इनाम मिल रहा है पर नही ये तो काल का जाल है।
महाराज जी कहते थे उस वक़्त आप समझदारी से काम लो। अगर आपके पास दुगुना धन आ रहा है, मान सम्मान बढ़ गया है तो आप भी चतुराई दिखाते हुए आपकी ड्यूटी डबल कर दो नाम की कमाई में दुगुने जोश से जुट जाओ।
आपका दुगुना फायदा है आप की दुनयावी सम्पति भी बढ़ रही और आपकी रूहानी कमाई भी बढ़ रही है।
सभी प्यारे सतसंगी भाई बहनों और दोस्तों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा सवामी जी…
Kya aisa bhi hota hai ki kaal insaan ko is dharti ke changul mein fasane ke liye kasht deti hai jaise naukri ko chhudwa dena, taaki insaan paise ka jugaad mein laga rahe aur simran se door ho jaye?
Radha Soami Neha Ji – Bilkul aisa bhi hota hai, Infact mere khud k saath is tarah ki kai incidents hue hain, jinhe main jaldi hi post karunga, lekin ek baat tay hai ki Baba Ji Sangat ka bahut khayal rakhte hain !! Main unka shukriya ada karta hoon ki main unke pyare bachon mein se ek hoon !!!