बात अभी कुछ ही समय पहले हैं कि सहारनपुर के पास एक गावं (मुझे नाम याद नही हैं) एक सत्संगी परिवार रहता हैं जो बाबा जी को बहुत मानते हैं,
उस परिवार में एक लड़की बाबा जी को बहुत प्यार करती थी, वो शाम को अपनी ट्यूशन जाती थी, उसके एग्ज़ाम्स आने वाले थे और उसकी तैयारी कम थी इसलिए एक शाम को टीचर ने उसे देर रात तक रुकने
को कहा, उसने भी इस पर कोई रिएक्शन नही दिया क्युकी बात पढ़ाई कि थी और पढ़ाई के साथ उसको काफी टाइम हो गया, रात भी काफी हो गई थी।
जब वो अपने ट्यूशन से घर के लिए चली तो उसे घर जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला, वो पैदल पैदल जाने लगी,
थोडा डरी हुई थी लेकिन बाबा जी का नाम ले रही थी।
तभी उसके पास एक ऑटो वाला आकर रुका और कहने लगा कि आप कहां जा रहे हो ?
में आपको छोड़ देता हूँ जहाँ आपको जाना हैं
उसने उस ऑटो वाले को मना किया कि मैं खुद चले जाउंगी ।
ऑटो वाले ने उसे फिर कहा इस पर वो लड़की थोडा डरने भी लगी
क्युकी वहाँ रस्ते में और कोई भी नही था इसलिए वो ऑटो में बैठ गई।
अंदर से डर था लेकिन कुछ कह भी नहीं सकती थी।
लेकिन ऑटो वाले ने उससे अब कुछ नही कहा और उसके बताये रास्ते में चलने लगा
जब उस लड़की का स्टॉप आया तो उसने एक सवारी के हिसाब से पैसे उस ऑटो वाले को दिए
इस पर वो ऑटो वाला नाराज होने लगा और कहने लगा कि ये गलत हैं आप वहाँ से दो लोग आये हो तो किराया एक का क्यों?
आपके साथ जो ये दाड़ी वाले सरदार हैं, इनका किराया भी तो दो।
इतना सुनते ही लड़की ने बिना कुछ बोले एक दम से पैसे निकाल कर उस ऑटो वाले को दिए
और उसने मन ही मन बाबा जी को बहुत बहुत थैंक्स कहा क्युकी वो समझ चुकी थी उस ऑटो में उसके साथ और कोई नही
बाबाजी खुद उसके साथ, उसकी रक्षा करने के लिए वह आये थे जो सिर्फ उस समय उस ऑटो वाले को दिख रहे थे। l
इस बात से वो बहुत ही ज़यादा रोई और वह से भागते हुए सीधे अपने रूम में गई।
और बाबाजी को बहुत याद करने लगी मालिक तेरा शुक्र हैं जो तूने इतना साथ दिया।
लेकिन काश कि उसके साथ मुझे भी अपने दर्शन बक्शे होते।
ये हैं हमारे मालिक की मौज, वो क्या नही जानता या उसे क्या नही पता, वो तो कुल मालिक हैं, उनकी नजरों से कुछ छिपा ही नहीं हैं।
वो रोम रोम से वाकिफ हैं, जर्रे जर्रे का उसे पता हैं। उसे सब पता कि मेरे बच्चे कहा हैं किस हाल में हैं
कब किस समय उस मालिक कि ज़रूरत हैं और इसी तरह वो अपने बच्चो कि संभाल करता हैं।
लेकिन सारा फ़र्ज़ उस मालिक का ही नही हमारा भी बनता हैं, उसकी याद को दिन रात अपने दिल में रखना।
बस इतना सा ही तो काम हैं बाकि तो वो मालिक खुद ही कर देता हैं।
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