Baba ji Satsang – Delhi – Part1

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आज मैं आपको बाबा जी के सत्संग में कुछ अंश बता रहा हूँ, सारा सत्संग तो एक लेख में नहीं लिख पाउँगा, कोशिश करूँगा की 2 – 3 हिस्सों में पूरा करूँ, कृपया पढ़ने के बाद अवश्य बताएं कि आपको कैसा लगा, इस से हम पूरी कोशिश करेंगे की हम और अच्छे से लिखने की कोशिश करें ।

सत्संग बाबा जी – स्थान नई दिल्ली

बाबा जी ने 1.5 hrs का सत्संग फ़रमाया

शब्द : श्री गुरु अर्जन देव जी का श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में से

1. हम सब मालिक की भक्ति करते हैं, सबका भक्ति करने का तरीका अलग अलग है, जैसे हिन्दू लोग मंदिर में जाते हैं, सिक्ख लोग गुरूद्वारे में जाते हैं, ईसाई लोग चर्च में जाते हैं इत्यादि, लेकिन भक्ति का असली साधन क्या है यह ज्यादातर लोगों को नहीं पता

2. आज हम गुरु बानी द्वारा समझेंगे कि मालिक की असली भक्ति का साधन आखिर क्या है? पांचवीं पातशाही ‘गुरु अर्जन देव जी’ इस बानी में हमें खुल कर ये समझाते हैं की सारे जग का मालिक एक है, उसके केवल नाम अलग अलग रख दिए गए हैं और ये नाम भी हमने ही रखे हैं, जब ये नाम रखे गए थे जैसे भगवन, अल्लाह, वाहेगुरु इत्यादि तब उसका मतलब ये नहीं था की उस मालिक को केवल उसी नाम से पुकारा जायेगा, ये तो हम लोगों ने अपनी छोटी सोच के कारण सोच लिया की हर धर्म का मालिक अलग है जैसे वाहेगुरु तो सिक्ख के मालिक हो गए, अल्लाह मुसलमान के मालिक हो गए, परमात्मा हिन्दुओं के मालिक हो गए, ये सब नाम तो हमने प्यार में आकर उस मालिक को दे दिए हैं, जिस तरह एक माँ अपने बच्चे को कितने नामों से बुलाती है, लेकिन उसका मतलब ये तो नहीं की उस माँ का बच्चे के साथ रिश्ता बदल गया

3. हम लोग धार्मिक पुस्तकें पढ़ते हैं, लेकिन उसमें क्या लिखा है उसका सार नहीं समझते, सिर्फ ऊपरी सतह से पढ़ लेते हैं और अपने आपको बहुत बड़ा ज्ञानी समझने लगते हैं, धर्म तो हमारे अंदर उस मालिक के लिए प्यार जागृत करने के लिए बनाए गए थे, हमारे अंदर प्यार भरने के लिए बनाए गए थे, लेकिन बड़े ही दुःख की बात है कि हम सिर्फ धर्म के नाम तक ही सीमित रह जाते हैं और इनकी गहराई में नहीं जाते और अपने धर्म को ऊँचा समझने लगते हैं, धर्म के नाम पर झगड़ते हैं । हम सबको उस एक मालिक ने बनाया है, हम सब उस परम पिता परमात्मा के बच्चे हैं, जरा सोच के देखिये कि एक पिता के बच्चे अगर आपस में लड़ने झगड़ने लगें और एक दूसरे को नुक्सान पहुंचाने लगें, यहाँ तक कि मरने मारने पे उतारू हो जाएं तो उस पिता कि क्या हालत होगी, उसे कैसा लगेगा अब उसी तरह सोचिये की उस मालिक को कैसे लगता होगा जब देखता होगा कि हम सब धर्म के नाम पर लड़ झगड़ रहे हैं ।

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