ये साखी मोगा सत्संग घर में एरिया सेक्रेटरी जी ने सुनाई —
एक बार लुधियाना से अमृतसर जा रही ट्रेन का एक्सीडेंट हो गया और काफी यात्रियों की मृत्यु हो गयी, तो मुझे (Area Sect.) डेरा ब्यास से फ़ोन आया और कहा गया की पता करो की मरने वालों में कोई जीव डेरा ब्यास तो नहीं आ रहा था, मैंने (Area Sect.) एक्सीडेंट स्पॉट के सबसे नजदीकी सत्संग घर को पता करने को कहा, मेसेज मिला कि कोई भी ब्यास का यात्री नहीं था, मैंने डेरे में वही मेसेज दे दिया ।
अगले दिन फिर से फ़ोन आया कि दुबारा पता करो, मैंने लुधियाना सत्संग घर से कुछ सेवादारों को जानकारी लेने भेजा, उन्होंने ने भी आकर किसी के ब्यास न उतरने के बारे में बताया, मैंने ब्यास फ़ोन करके बता दिया ।
तीसरी बार बाबा जी का फ़ोन आया कि दुबारा चैक करो कि किसी यात्री को ब्यास तो नहीं उतरना था, मुझे (Area Sect.) पूरा यकीन हो चुका था की किसी भी यात्री को ब्यास नहीं उतरना था, परन्तु हुक्म मान कर मैं खुद स्टेशन गया और रिजर्वेशन लिस्ट check की, किसी का भी नाम ब्यास उतरने में नहीं था, Station Officers ने बताया कि Dead Bodies को लुधियाना सिविल हॉस्पिटल ले गये हैं ।
हॉस्पिटल में मुझे बताया गया कि बाकि bodies को उनके रिश्तेदार ले गये हैं लेकिन 3 bodies लावारिस हैं, पूछने पर पता लगा कि इनकी रिजर्वेशन लुधियाना की थी और उन्होंने ट्रेन में ही अपनी ticket को ब्यास तक करवाया था ।
मैंने (Area Sect.) जल्दी से ब्यास फ़ोन किया और सारी बात बताई, मुझे कुछ देर wait करने को कहा गया, 10-15 मिनट बाद ब्यास से फ़ोन आया और बाबा जी ने कहा कि मेरे होते वो लावारिस नहीं हैं, उनको डेरे लेकर आओ ।
सारी formalities पूरी करने के बाद मैं उनको ब्यास ले गया, बाबा जी ने खुद उनका अंतिम संस्कार अपनी personal money से किया ।
जो सतगुरु मौत के बाद भी अपनी संगत की संभाल करते हैं, सोचो वह हमारी जीते जी कितनी संभाल करते होंगे, कमी है अगर तो हमारे विश्वास में, गुरु कभी कोई कमी नहीं रखते ।