जब बाबा जी का जन्म 1 Aug 1954 को हुआ तब कुछ अजीब वाक्या हुआ, बाबा जी की आँखें 3 दिन तक नहीं खुलीं, सभी doctors हैरान थे, बाबा जी के पिताजी ने महाराज जी को बुलवाया, महाराज जी जब डेरा hospital पहुंचे, उन्होंने अपनी ऊँगली को शहद में डुबाया, बाबा जी को अपनी बाँहों में लेकर उनके मुंह में अपनी शहद वाली ऊँगली लगा के बाबा जी को शहद चटाया और बोले, “हुन तां अखां खोल लो” (अब तो ऑंखें खोलो), बाबा जी ने अपनी आखें खोल ली
और जब बाबा जी करीब 5 -6 साल के थे, वे अपने परिवार के साथ ब्यास आये, उन्होंने सबको बुलाया, नमस्ते की, मत्था टेका (चरण स्पर्श) पर महाराज जी को नहीं बुलाया, जब बाबा जी की माता जी ने कहा की अपने गुरु मामा जी नु वी मत्था टेको (अपने मामा जी के भी चरण स्पर्श करो), तब बाबा जी ने उनकी बात अनसुनी कर दी और उनकी माता जी गुस्सा हो गयीं
तब महाराज जी ने अपनी बहन (बाबा जी की माताजी) से कहा, “रहन दयो बहन जी, कुछ ना कहो ऐनू, ऐ मेरे नाल नाराज़ है” (रहने दो बहन, इसको कुछ मत कहो, ये मेरे से नाराज़ है)
बाबा जी की माता जी बोलीं “असीं हुने तां आये हाँ, फेर नाराज़ केडी गल तौं हो गया, नाले ओ तां तैनू आके मिलया वी नहीं” (हम अभी तो आये हैं,फिर नाराज़ किस बात पर हो गया, और आपको तो आकर वो मिला भी नहीं)
महाराज जी बोले, “नहीं ऐ नाराज़गी हुन दी नहीं, ऐ पहले तौं ही नाराज़ है, ऐ ऐस दुनिया विच आना नहीं चाहंदा सी, मैं ऐनु जबरदस्ती लै के आया हाँ, तां करके ऐ मेरे तौं नाराज़ है” (नहीं ये नाराज़गी अब की नहीं, पहले की है, ये इस दुनिया में आना नहीं चाहता था, मैं इसको जबरदस्ती लेके आया हूँ, इसलिए ये मुझसे नाराज़ है)
मालिक की मौज मालिक ही जाने – दिल किया आप लोगों से इस बात को share करूँ, इसलिए लिख दिया – कुछ गलत लगे तो दास को माफ़ करना जी
— राधा स्वामी जी