Kaal aur Andha Bacha – Ek Sakhi

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एक सेवादार भाई जो व्यास मे सेवा करते है मुलाकात हुई गुरू घर की काफी बाते हुई उन्होंने हुजूर महाराज जी के समय की एक बात बतायी ।

हुजूर महाराज जी आई कैम्प के सेवादारो को प्रसादी दे रहे थे। ऊधर जहाँ मंगल सिंह की कैन्टिन थी, वहाँ पर एक बहन एक बच्चे को लेकर बैठी थी जो कि जन्म से अंधा था।
वह बहन उस बच्चे की आँखो के आॅप्रेशन के लिये आयी थी और वह घर कह कर आयी थी कि मै अपने गुरू के यहाँ से इसे ठीक करके की आऊँगी किन्तु डाक्टरो ने उसे आप्रेशन के लिये मना कर दिया अब वह घर जाकर क्या कहे, लोग-बाग क्या कहेंगे वह बहुत परेशान थी।

हुजूर से विनती करती जाती और रोती जाती।

जब प्रसाद का काम पूरा हो गया तो हुजूर अपनी कुरसी से उठे और चद्दर ओढ कर फिर कुरसी पर बैठ गये।

थोड़ी ही देर में वह लडका कहने लगा माँ मुझे दिखाई दे रहा है, वह बहन भी हैरान हो गयी लेकिन बहुत खुश भी हुई।

सेवादारों ने हुजूर से पूछा कि यदि आप एक बार कुरसी से उठ जाते हो फिर उस समय आप दूबारा नही बैठते तो फिर आज क्या बात है । इस पर हुजूर कहते है, जाओ उस बहन से पूछकर आओ जो वहाँ एक बच्चे को लिए बैठी है।

सेवादार उस बहन के पास गये और पूछा तो बहन ने बताया कि तीन घरों मे यही एक बच्चा है और वो भी जन्म से ही अन्धा था लेकिन आज हुजूर की कृपा से
ठीक हो गया है।

सेवादारो ने जब हुजूर को बताया तो हुजूर कहते है इस बच्चे को तीन जन्मो तक अंधा रहना था। सेवादार कहते है फिर आप कुरसी से उठकर फिर बैठ गये इसका क्या कारण था।

यह तो पहले भी हो सकता था तो हुजूर महाराज जी कहते है कि काल मान नही रहा था मुझे कुरसी से उठकर ही उसको कहना पडा ।

सेवादार कहते है काल ओर आपके सामने । हुजूर कहते है भाई उसका देश है ।

राधा स्वामी जी, एक पूर्ण सतगुरु चाहे तो काल की करनी भी बदल सकते हैं !!

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