एक बच्चे ने बाबा जी से एक सवाल पूछा
बच्चा:- बाबाजी हम यहॉ सभी “राधास्वामी” करते हैं , बाहर लोग हरिओम रामराम वाहेगुरु आदि कई तरह के नाम लेते हैं इनमें और राधास्वामी में क्या फर्क है?
बाबाजी:- देखो बेटा परमात्मा एक है पर उसके नाम अनेक है.
ये प्रेम का मार्ग है. कोई मां अपने बच्चे को कई अलग अलग नामों से पुकारती है तो उस बच्चे का नाम नहीं बदलता और बच्चा भी समझता है कि मां उसे ही बुला रही है. वो तो प्यार की बात है.
गुरु ग्रंथ में गुरु साहिबान ने परमात्मा के हजारों नाम लिखे हैं और अंत में लिख दिया “अनामी”
तो बेटा ये तो भावना की बात है आपकी भावना, आपका प्यार होना चाहिये नाम में कुछ नहीं.
हमें किसी का अभिवादन करना हो तो जरुरी नहीं कि किसी खास नाम से ही करें.
हमारी भावना हो तो हम आखों से ही किसीका अभिवादन कर सकते हैं, सिर्फ झुक कर लोगों नहीं दिखाना.
झुकाना है तो मन को झुकाओ शरीर तो नाश हो जाना है.
आप सभी भाई बहनों को इस छोटे से दास की प्यार भरी राधा स्वामी जी