बाबा जी को हम बहुत मानते हैं पर बाबाजी की बातें नहीं मानते, यही हम सब की मानसिकता हैं और बाबाजी कहते हैं भाई मुझे नहीं उस कुल मालिक की बात शब्द बाणी वचन मानना है उस नाम की कमाई करनी है
नाम दान मिला है तो सिर्फ साँसे मत लीजिये, भजन सिमरन भी कीजिये जो कि आपकी जिँदगी के लिये ज्यादा अच्छा है
ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात आख़री” होगी, ना ज़ाने कौनसी रात “आख़री” होगी।
हमें अपने मालिक की ख़ुशी हासिल करनी है, हमें हर उस चीज का ध्यान रखना चाहिए जो हमें नामदान की बख्शीश के समय बाबाजी ने समझाया था लेकिन हम किसी कोई मान नहीं समझते हैं वो अमूल्य बक्शीश हमें मुफ्त में हुई है शायद इसलिए हम उस नाम ,अनमोल शब्द का मूल्य नहीं समझते हैं किसी भी गुनाह से नहीं डरते, बाबा जी कहते हैं भाई ऐसा नहीं है वो कुल हमारे हर एक गुनाह को देख रहा है, विचार कर |
ये सब देख कर वो कुलमालिक कभी खुश नहीं होगा, सिमरन भजन का वादा करके हम क्या करते हैं कभी सोचा है? विचार किया है?
वहाँ देर है अन्धेर नहीं है भाई – भजन_सिमरन मे अपना जीवन लगाओ
फिर देखो मालिक खुश होकर आपकी झोलीयाँ खुशियों से भर देगा फिर आपको किसी से कुछ मागना ही नहीं पड़ेगा वो सब मिलेगा जो जायज और लायक होगा.
राधा स्वामी जी