गुरु की प्यारी साध संगत जी प्यार भरी *राधास्वामी जी*
बाबा जी ने पहली बार हिमाचल प्रदेश परोर मे सत्संग किया ।सत्संग के बाद अपने ड्राइवर को साथ लेकर कार से घूमने बाजार गए। घूमते घूमते तंग गली मे जा पहुँचे ।बाबा जी ने ड्राइवर से कहा कार कही पार्क कर दो और वही रुको मै एक काम करके अभी आता हूँ।बाबा जी तंग गलियो से गुजर कर एक मोची की दुकान पर गए।और उसके stand पर पैर रख दिया बोले भाई मेरे जूते पोलिश करेगा।मोची बोला जी बाऊजी और वो पोलिश करने लगा।बाबा जी की तस्बीर दुकान मे लगी थी।। बाबा जी ने कहा भाई जिनकी तूने तस्बीर लगाई है कभी उसको देखा भी है कभी उनके दर्शन भी करने ब्यास गया है उसकी आँखो मे आंसू आगये।सिर झुका हुआ था उसने कहा मेरे पास इतने पैसे नहीं जो मै ब्यास जाकर दर्शन कर सकूँ। बाबा जी बोले भाई तू नहीं जा सकता वो तो आ सकता है।जब उसने सिर ऊपर उठा कर बाबा जी को देखा दहाड़े मार कर रो पड़ा। बाबा जी ने उसे गले से लगा लिया। क्यों कि वो मोची हुज़ूर महाराज जी का प्रेमी सेवक था।जो हुज़ूर के चोला छोड़ने के बाद कभी ब्यास नहो जा पाया था।
राधास्वामी जी