॥ राधा स्वामी जी ॥
ये साखी महाराज चरण सिंह जी के बारे में है, उस समय महाराज जी सिकन्दरपुर में थे, तभी सरदार बहादुर जगत सिंह महाराज का तार आया कि “चरण को भेजो”, महाराज जी के पिता जी को हैरानी हुई कि सिर्फ चरण सिंह का नाम ही क्यों लिया, शायद उनकी तबियत ज्यादा ख़राब होगी, पिता जी के कहने पर महाराज जी डेरे जाने के लिए तैयार हो गए, अभी रस्ते में ही थे कि उनकी कार ख़राब हो गई, कार को ठीक करने में कई घंटे लग गए, पर सरदार बहादुर जी की तबियत के ख्याल में महाराज जी रात को भी चल पड़े, रात के 2:30 बजे थे, अभी आधा रास्ता भी खत्म नहीं था, महाराज जी खुद ही कार चला रहे थे, अचानक महाराज जी को तेज़ रौशनी दिखाई दी और सरदार बहादुर जी के दर्शन हुए, महाराज जी को कार स्टीयरिंग का ध्यान नहीं रहा और कार बेकाबू होकर सड़क से नीचे उतर गई, महाराज जी ने सर स्टीयरिंग पर रखकर आँखें बंद कर लीं, उनके पिता ने पूछा कि क्या बात है? तबियत तो ठीक है? तो आपने कहा पिता जी कार आप चला लो, मुझसे चलाई नहीं जा रही, तब उनके पिता जी कार चलाने लगे, महाराज जी आँखें बंद करके चुप बैठे रहे, थोड़ी देर महाराज जी ने अपने पिता जी को बताया की सरदार बहादुर जी चोला त्याग गए हैं ।
लगातार चलते हुए वो सुबह मोगा पहुंचे, वहां पर माता “शाम कौर” से मिले, माता जी ये सुनकर हैरान हुई की सरदार बहादुर जी बीमार है क्यूंकि एक दिन पहले तक वो बिलकुल ठीक थे, जब सब लोग डेरे पहुंचे तो सरदार बहादुर जी सच में चोला त्याग गए थे