नाम की कमाई करने के लिए हमेशा तीन बातों को याद रखना चाहिए:
एक गफ़लत या आलस नहीं करना हैः
दूसरे दुनियां में से अपने ख़याल को निकालने की कोशिश करनी चाहिए
तीसरे नाम की कमाई को अपने अन्दर हज़म करना है
सिमरन करो सतगुरु का साथ वो निभायेगे
मंजिल तुम पाओ रास्ता सतगुरु बनाऐगे
खुश तुम रहो खुशिया सतगुरु दिलाएगें
तूम बस सतगुरु संग रहो रिश्ता सतगुरु निभायेगे
जिन्दगी के है चार दिन ,
इससे चार काम तो किजिए अब मिली फिर मिले न मिले इस बार तो मजा लिजिए !!
पहला काम शुक्र खुदा का हर स्वास शुक्र किजिए जिसने दिया ये नायाब तोहफा हर स्वास जिकर तो किजीए देह बख्शी बख्शा हुस्न अक्ल समझ और स्वास भी बेशकिमत बख्शा खजाना कुछ इसकी कदर तो किजिए.
दूजा काम बहुत जरुरी पल्ला मुर्शीद का थाम लिजिए मुर्शीद की खिदमत कर उनसे इलाही नाम लिजीए मुर्शीदे कामिल की नजर तौफीक उस खुदा की है मुर्शीद के दिदार मे खुदाई नजारा किजीए.
तीजा काम है नित नेम मुर्शीद की मान लिजिए श्रीआरती पुजा सेवा सत्संग सिमरण और ध्यान किजिए बदले मे इन पाँच नियम के गारंटी वो लेते है सारी ये पाँच तत्वो का शरीर उनके हवाले किजीए.
चौथा काम मत भुल बन्दे अमृत का जाम पिजिए उठ सवेरे अमृत वेले अल्लाह का नाम लिजिए ये दिन चार तो कट जायेगे जैसे लिखे है किस्मत मे
कुछ आगे की सोच कुछ आगे की सुध लिजीए जिन्दगी के है चार दिन इससे चार काम तो किजीए.
सभी प्यारे सतसंगी भाई बहनों और दोस्तों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा सवामी जी.
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